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छत्तीसगढ़ का मदकुदीप पर्यटन स्थल प्राचीन और रमणीय स्थान है पर्यटको के लिए ..आइए जानते हैं यहां जाने का मार्ग और दर्शनीय स्थानों को….

चांपा जांजगीर 16 मई 2023

मदकुदीप पर्यटन स्थल प्राचीन और रमणीय स्थान है पर्यटको के लिए ..आइए जानते हैं यहां जाने का मार्ग और दर्शनीय स्थानों को….

बिलासपुर हाईवे पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर है. यहां से कुछ ही दूरी पर मडकू, मदकू या मनकू द्वीप है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है जो शिवनाथ नदी से घिरा हुआ है।मदकू द्वीप को ऋषि मांडुक्य के तपो स्थान के रूप में भी नामित किया गया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार इस द्वीप का निर्माण प्रागैतिहासिक काल में हुआ। द्वीप पर कच्छप (कछुए) के आकार में लगभग आधा दर्जन मंदिर हैं। मडकू द्वीप एक पवित्र स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है क्योंकि यहीं पर शिवनाथ नदी उत्तर पूर्व वाहिनी में बदल जाती है। रतनपुर के कलचुरी राजा दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में यहां बलि और अन्य अनुष्ठान करते थे। पुरातत्वविदों और इतिहासकारों के अनुसार यह स्थल विष्णु पुराण में वर्णित मंडूक द्वीप है।

मद्कू द्वीप शिवनाथ नदी की धारा के दो भागों मे विभक्त होने से द्वीप के रूप मे प्रकृतिक सौन्दर्य परिपूर्ण अत्यंत प्राचीन रमणीय स्थान है। इस द्वीप पर प्राचीन शिव मंदिर एवं कई स्थापत्य खंड हैं। लगभग 10वीं 11वीं सदी के दो अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर इस द्वीप पर स्थित है। इनमे से एक धूमनाथेश्वर तथा इसके दाहिने ओर उत्तर दिशा में एक प्राचीन जलहरी स्थित है जिससे पानी का निकास होता है। इसी स्थान पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं। पहला शिलालेख लगभग तीसरी सदी ई॰ का ब्राम्ही शिलालेख है। इसमें अक्षय निधि एवं दूसरा शिलालेख शंखलिपि के अक्षरों से सुसज्जित है। इस द्वीप में प्रागैतिहासिक काल के लघु पाषाण शिल्प भी उपलब्ध हैं। सिर विहीन पुरुष की राजप्रतिमा की प्रतिमा स्थापत्य एवं कला की दृष्टि से 10वीं 11वीं सदी ईसा की प्रतीत होती है। आज भी पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई मेँ गुप्तकालीन एवं कल्चुरी कालीन प्राचीन मूर्तियाँ मिली हैं। कल्चुरी कालीन चतुर्भुजी नृत्य गणेश की प्रतिमा बकुल पेड़ के नीचे मिली है। 11वीं शताब्दी की यह एकमात्र सुंदर प्रतिमा है।

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