जिले का विभाजन हो गया,नहीं हुआ विकास,परिवर्तन की मांग मुखर, राघवेन्द्र पर कांग्रेस लगाए दांव, जनता की ओर से उठी मांग…

जांजगीर चांपा 05 जुलाई 2033
स्थापना के 26 वें वर्ष में एक बार विभाजित हो चुके जांजगीर चाम्पा जिले के लोगों ने जिस उम्मीद से पृथक जिले की लड़ाई लड़ी थी, वह पूरी होते नहीं दिख रही है। नेतृत्व की उदासीनता इसकी बड़ी वजह रही है। विधानसभा चुनाव की बेला में जनता के बीच से नए नेतृत्व को मौका देने की मांग उभर रही है। न केवल बदलाव बल्कि ये बदलाव जनता के बीच से हो ये जरूरी है। इसे लेकर मंथन जरूरी दिख रहा है। ये बातें भूतपूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता राघवेन्द्र पाण्डेय ने कही।
मेरा मकसद तस्वीर बदलना है ।
युवा पीढ़ी की ओर से अप्रत्याशित रुप से राघवेन्द्र पाण्डेय का नाम सामने आ रहा है,जिन्हें विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के रुप में देखा जा रहा है। हालांकि उन्होंने साफ कहा है कि मेरा सपना विधायक बनना नहीं,मेरा मकसद है जांजगीर-चांपा की तस्वीर बदलना है। मुझे कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ने की जवाबदारी दी जाए तो जनता की आवाज बनकर मैदान में रहूंगा। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में जांजगीर-चांपा के विकास को लेकर आम जनता संतुष्ट नहीं है। गांव से लेकर शहर तक होटल,किराना पान दुकान, गली मोहल्ले चौक-चौराहों निजी एवं शासकीय दप्तरों से लेकर विभिन्न सोशल साइट्स में लोग जिले के राजनीतिक दुर्भाग्य की चर्चा करते हैं।

इन मुद्दों को लेकर 28 वर्षो से मुखर हैं पांडेय
अपने आंदोलनों व जन सरोकारों के मुद्दे पर राघवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 1995 के जर्जर सड़को के नव-निर्माण की मांग को लेकर छात्र महा चक्काजाम आज भी चर्चा का विषय है। इस आंदोलन के बाद मेरे खिलाफ झुठा अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था,परीक्षा के दौरान मुझे गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया था। पर डेवलपमेंट के मुद्दों पर मैने समझौता नही किया तथा जनता के हक में मेरा संघर्ष आज तक जारी है। जिला चिकित्सालय की स्थापना की मांग को लेकर वर्ष 2000 में सर्वदलीय मोर्चा के बेनर तले हम आम लोगों ने 13 घंटे तक का चक्काजाम किया था।
वर्ष 2007 में जिला चिकित्सालय के लोकार्पण के लिए हम आम लोगों ने ही शासन-प्रशासन को मजबूर किया था तथा स्थानीय मुद्दों को लेकर इसी वर्ष एक बार फिर और तीसरी बार मैंने चक्का जाम का नेतृत्व किया था। बिजली की समस्या को लेकर अधीक्षण यंत्री के कार्यालय में भी ताला ठोका था और अधिकारियों को बंधक बनाया था लिखित में शर्त मानने पर ताला खुला था तथा एक सप्ताह में ही हम लोगों ने 19 गांव में बंद पड़े ट्रांसफार्मर को बदलवाया था।
शहर में अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने आबकारी आयुक्त को राजधानी से जांजगीर-चांपा आना पड़ा था। स्थानीय समस्याओं को लेकर जब हम आम लोग नगर पालिका पहुंचा थे तो सीएमओ को चेंबर छोड़कर भागना पड़ा था
उनकी स्थान पर कलेक्ट्रेट छोड़कर अपर कलेक्टर को नगर पालिका आना पड़ा था। श्री पाण्डेय ने कहा कि ऐसे अनेक आंदोलनो में आम लोगों के साथ मैने सडक में संघर्ष किया है ।
कब तक करेंगें सुविधाओं के लिए संघर्ष, निर्णायक लड़ाई जरूरी
उनका कहना है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो जांजगीर-चाम्पा को देश का टाप वन जिला बनाया जा सकता है। अफसोस यहां आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जनता को सड़क पर संघर्ष करना पड़ता है ।आखिर कब तक हम अपने हक के लिए सड़क पर संघर्ष करते रहेंगे।
कांग्रेस मौका दे,जिले के तीनों विधानसभा में गाड़ेंगे झंडा
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भुपेश बघेल विधान सभा अध्यक्ष डां चरणदास महंत तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा जन-भावनाओ के अनुरूप जांजगीर-चांपा के सही विकास के लिए 2023 में मुझे विधानसभा चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी जाए तो पार्टी जिले के जिस विधानसभा से कहेगी मै जनता के बीच जाने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि पृथक जांजगीर-चांपा जिले में कांग्रेस का एक भी विधायक नही है। चुनौती के दौर में अगर चुनाव से पहले जिला कांग्रेस कमेटी की कमान मुझे सौंपा जायेगा तो जांजगीर-चाम्पा जिले के तीनों विधान सभा सीट से कांग्रेस प्रचंड मतों से चुनाव जीतेगी ।
जांजगीर-चांपा के विकास के लिए सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सहीत डेवलपमेंट के सभी मुद्दों पर हम आम लोगों ने सड़क पर संघर्ष किया है। मैं अपनी आखरी सांस तक जनता के हक के लिए संघर्ष कर सकता हूँ, लेकिन जांजगीर-चांपा का भला तब होगा जब हम जमीन से जुड़े लोगों को विधानसभा के सदन में जनता की पैरवी करने का अवसर मिलेगा ।