
चांपा जांजगीर 16 मई 2025
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैदल यात्रियों के लिए उचित र फुटपाथ सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश 3 दिया है। शीर्ष न्यायालय ने इसे लोगों का संवैधानिक अधिकार बताया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि फुटपाथ के अभाव में पैदल यात्रियों को सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे उनके साथ दुर्घटना होने की आशंका होती है।
शीर्ष न्यायालय ने पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ का इस्तेमाल को संवैधानिक अधिकार बताया सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन के लिए केंद्र को छह महीने का समय दिया ।
पीठ ने कहा कि नागरिकों के लिए उचित फुटपाथ का होना आवश्यक है। ये ऐसे होने चाहिए कि जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों और इन पर से अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है। न्यायालय का मानना है कि पैदल यात्रियों को फुटपाथ का इस्तेमाल करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीशुदा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना अवरोध
वाले फुटपाथ का अधिकार निश्चित रूप से एक आवश्यकता है। पीठ ने केंद्र को पैदल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए दिए अपने दिशानिर्देश में दो महीने के भीतर रिकार्ड पर रखने का निर्देश दिया। पैदल यात्रियों की सुरक्षा को बहुत जरूरी मानते हुए शीर्ष न्यायालय कहा कि फुटपाथों का निर्माण और रखरखाव इस तरह से किया जाना चाहिए कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी पहुंच सुनिश्चित हो सके। कोर्ट ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन के लिए केंद्र को छह महीने का समय दिया तथा स्पष्ट किया कि इससे अधिक समय नहीं दिया जायेगा। याचिका में पैदल यात्रियों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई है। याचिका में उचित फुटपाथ की कमी और पैदल मार्गों पर अतिक्रमण के मुद्दों पर जोर दिया गया।
