चाम्पाछत्तीसगढ़

चाम्पा की जीवन रेखा हसदेव नदी बनी घास भूमि,मड़वा पावर प्लांट व लोगों को मिल रहा लाभ, हसदेव नदी को सफाई की जिम्मेदारी भी उठानी होगी…

चाम्पा जांजगीर 24 मई 2024

मड़वा पावर प्लांट में पानी आपूर्ति के लिए कुदरी बैराज बांध का निर्माण किया गया है तब से अब तक नदी की सफाई नहीं कराई गई है इसके पहले निरंतर जल प्रवाह होने से नदी में घास भूमि नहीं थी । आज की स्थिति में आप ट्रैक्टर लेकर भी नदी को पार कर सकते हैं हनुमान धारा से लेकर तपसीवाबा धाम तक नदी घास भूमि में परिवर्तित हो गई है । इसकी पानी पर अधिकार मड़वा प्लांट को है तो सफाई की जिम्मेदारी भी प्रबंधन को उठानी चाहिए।

डोंगाघाट के पास हसदेव नदी

हसदेव नदी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह महानदी की एक प्रमुख सहायक नदी है तथा कोरबा के कोयला क्षेत्र में तथा चाम्पा मैदान में प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदी है। यह नदी कोरिया ज़िले की कैमूर पहाड़ियों से निकलकर कोरबा, बिलासपुर जिलों में बहती हुई महानदी में मिल जाती है। हसदेव का अधिकांश प्रवाह क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ है। इसकी कुल लंबाई 176 किलोमीटर और प्रवाह क्षेत्र 7,210 वर्ग किमी है। इसकी सहायक नदियां तान, झींग, उतेंग, गज, चोरनई है।
लोग विशेषकर गर्मी के मौसम में यहां का पानी घरों में ले जाकर रखते हैं। हसदेव नदी का नाम राजा हर्षदेव के नाम पर होना बताया गया है। क्षेत्र में यह क्विदंती प्रचलित है कि प्राचीन समय में राजा हर्षदेव ने नदी के पास डेरा डाला था और कई दिनों तक हसदेव नदी के तट पर विश्राम किया था। उनके नाम पर ही नदी का नाम पड़ा था।
हसदेव नदी को जिले की जीवनधारा माना जाता है। इसका उद्गम स्थल कोरिया जिले के सोनहत ब्लाॅक में मेंड्रा गांव है जो कैमूर की पहाड़ी से लगी हुई है। इसकी लंबाई 210 किलोमीटर है। लेकिन 125 किमी बाद कोरबा पहुंचते नदी का पानी प्रदूषित हो जाता है।इसका कारण डेम से निकली राखड़युक्त पानी व केमिकल है। हसदेव नदी में बांगो बांध स्थित है। साथ ही 11 एनीकट का निर्माण अब तक कराया गया है। जहां से औद्योगिक संस्थानों को पानी दिया जा रहा है। बांध की जल भराव क्षमता 3046 एमसीएम थी, लेकिन सिल्टेशन लॉस के कारण अब घटकर 2894 एमसीएम (मिलियन घन मीटर) हो गई है। यहां से औद्योगिंक संस्थानों को देने के लिए 418 एमसीएम पानी रिजर्व रखा गया है। पहले उद्योगों के लिए 441 एमसीएम पानी रिजर्व रखा गया था। खरीफ सिंचाई के लिए 1454 एमसीएम पानी रिजर्व रखा गया है। बांगो बांध से दर्री बराज के बीच एनटीपीसी के राखड़ बांध का पानी नदी में आता है। इसके बाद दर्री बराज से नीचे बेलगरी व ढेंगुरनाला का पानी नदी में जाता है। यहां से भी राखड़युक्त पानी का प्रवाह होता है। दोनों ही नालों के पानी को रोक दिया जाए तो सभी जिले में नदी साफ हो जाएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button